ऐसा मंदिर जिसका 3000 तोप के गोले कुछ नहीं बिगाड़ सके

आठवीं शताब्दी के उतरार्द्ध में भाटी तणु राव ने तन्नोट में देवी स्वांगियां का मन्दिर बनवाया। यहाँ पर सैंकड़ों वर्षों से अखण्ड ज्योति आज भी प्रज्वलित है। तणु राव के नाम पर ही देवी स्वांगियां को ‘तणुटिया’ ‘तन्नोट’ राय देवी के नाम से भी जाना जाता है। 1965 ई. के भारत-पाक युद्ध के बाद माता की पूजा अर्चना का कार्य सीमा सुरक्षाबल के भारतीय सैनिकों द्वारा किया जाता है।


Tanot Mata
भारत- पाकिस्तान युद्ध के समय देवी स्वांगियां ने अपनी शक्ति से इस धरा की रक्षा कर अद्भुत चमत्कार दिखाए। 16 नवम्बर 1965 ई. को पाकिस्तान के सैनिकों ने आगे बढ़कर शाहगढ़ तक 150 कि.मी. कब्जा कर लियऔर तन्नोट के चारों ओर घेरा डालकर करीब 3000 बम बरसाए लेकिन मंदिर को एक खरोंच तक नहीं आई। यहाँ तक कि 450 बम मंदिर परिसर में ही पड़े लेकिन इनमें से एक भी बम नहीं फटा। ये बम आज भी मन्दिर में बने म्यूजियम में श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ सुरक्षित पड़े हैं। माता के चमत्कार के गवाह खुद पाकिस्तानी सैनिक भी हैं। उनके अनुसार जब भी वे प्लेन से बम गिराने के लिए नीचे मन्दिर को टारगेट बनाते थे तो उन्हें कहीं भी मन्दिर दिखाई ही नहीं देता था बल्कि पानी के तालाब के पास एक कन्या बैठी दिखाई देती थी। माता के इन्हीं अद्भुत चमत्कारों से यह स्थान भारतीय सैनिकों की श्रद्धा का केन्द्र बन चुका है।


Tanot Mata Temple Jaisalmer

Tanot Mata Temple Jaisalmer
        विश्व प्रसिद्ध तनोट माता का मंदिर जैसलमेर से लगभग 130 किलो मीटर दूर भारत – पाकिस्तान बॉर्डर के समीप स्थित है। यह मंदिर लगभग 1200 साल पुराना है। वैसे तो यह मंदिर सदैव ही आस्था का केंद्र रहा है परंतु 1965 में भारत – पाकिस्तान युद्ध के बाद यह मंदिर देश – विदेश में अपने चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध हो गया। 1965 कि लड़ाई में पाकिस्तानी सेना के द्वारा गिराए गए करीब 3000 बम भी इस मंदिर पर खरोच तक नहीं ला सके, यहाँ तक कि मंदिर परिसर में गिरे 450 बम तो फटे तक नहीं। ये बम आज भी मन्दिर में बने म्यूजियम में श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ सुरक्षित पड़े हैं। 1965 के युद्ध के बाद इस मंदिर की जिम्मेदारी सीमा सुरक्षा बल ( BSF ) ने ले लिया और यहाँ अपनी एक चोकी भी बना ली। इतना ही नहीं एक बार फिर 4 दिसंबर 1971 कि रात को पंजाब रेजिमेंट और सीमा सुरक्षा बल की एक कंपनी ने माँ कि कृपा से लोंगेवाला में पाकिस्तान की पूरी टैंक रेजिमेंट को धूल चटा दी थी और लोंगेवाला को पाकिस्तानी टैंको का कब्रिस्तान बना दिया था। लोंगेवाला भी तनोट माता के पास ही स्थित है। लोंगेवाला की जीत के बाद मंदिर परिसर में एक विजय स्तंभ का निर्माण किया गया जहाँ अब हर वर्ष 16 दिसंबर को उत्सव मनाया जाता है। हर वर्ष आश्विन और चै‍त्र नवरात्र में यहाँ विशाल मेले का आयोजन किया जाता है।

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